मंगलवार, 10 अगस्त 2010

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बात तो ज़रा सी ... 

मैं बूँद हूँ फिर भी प्यासी हूँ

सहमी सी   एक    उदासी    हूँ

अनलिखी एक कविता हूँ मैं

बस इतनी बात ज़रा सी  हूँ



मैं बिन सीपी  का  मोती  हूँ

दीपक के बिना एक जोती हूँ

है पास नहीं कुछ   भी  मेरे

फिर भी मैं हर पल खोती हूँ

जिसको चंदा सहला न सके

मैं     ऐसी      पूरनमासी      हूँ



जो सपने पूरे  हों  न   कभी

मैं  उन सपनों का  घेरा   हूँ

जो रात से  ज्यादा  काली  हो

मैं  उस सुबह   का   चेहरा    हूँ

जो किसी भी लब पे सज न सके

मैं  ऐसी  एक  दुआ  सी       हूँ

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ,बड़ी हसीन प्यास है ,ये बूँद क्यूँकर उदास है

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  2. गहरे अहसास जगाती आपकी ये रचना बहुत अच्छी है और आपने जो इसके साथ चित्र लगाया है वो गज़ब का है...बधाई स्वीकारें
    नीरज

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