शनिवार, 30 अक्तूबर 2010

तुम .......
तुम...
तुम मेरे लिए क्या हो
तुम मेरे लिए हो 
कुछ से लेकर सबकुछ तक
एक बिंदु से लेकर एक वृहद  रेखा तक 
स से सा तक 
तुम हो
प्रणय गीत,विरह गान 
जीवन के इस छोर से उस छोर तक सारे आयाम 
तुम अश्रु हो,मुस्कान हो
मेरी उलझन  भी हो मेरा मान हो 
तुम्ही शीतलता हो 
तुम्ही अधरों की प्यास हो
तुम्ही भ्रम हो, तुम्ही गहन विश्वास हो 
तुम श्रृष्टि की स्वर लहरी हो 
प्रलय का अट्टहास हो 
ये खुली धरती वो फैला आकाश हो 
तुम ही तुम हो मेरे लिए 
इस सीमा से उस सीमा तक
 तुम ही तुम, बस तुम 
क्या क्या हो तुम 
कैसे बताऊँ तुम्हे 
अपनी सोच के दायरे में 
कहाँ बिठाऊँ तुम्हें
तुम मेरे लिए हो 
कुछ से लेकर सब कुछ तक  

20 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी कविता ...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद ,संजय जी ,फिरदौस जी और अना जी ........आभार

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  4. padhkar bahut acha laga......andar ka kavi jaag utha
    kuch ehsaas jo kabhi jeevan ke sangharsh se ubre aur bikhar gaye
    unhe koi ek mala me piro raha hai, aisa aabhaas hua
    tum...
    tumhara yeh ek shabd jo mere jeevan ke har kisi se jud kar meri yaadon ko jhinjhod raha ab
    moond aankhen kore kagaz par kalam ki syahi ke kuredne ka agaaz hua

    जवाब देंहटाएं
  5. मनहर!...उरग्राही!
    अति शोभनम्‌!

    अच्छा लगा, आपके जीवन में उस ‘तुम’ की सत्ता और महत्ता के विषय में जानकर!

    यदि यहाँ इंगित ‘तुम’ इहलौकिक है तो...मधुर! और यदि पारलौकिक है तो...अति मधुर!

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  6. ०विज्ञप्ति०
    लेखकगण कृपया ध्यान दें-
    देश की चर्चित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन’ का आगामी एक अंक ‘मुक्‍तक विशेषांक’ होगा जिसके अतिथि संपादक होंगे सुपरिचित कवि जितेन्द्र ‘जौहर’। उक्‍त विशेषांक हेतु आपके विविधवर्णी (सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, शैक्षिक, देशभक्ति, पर्व-त्योहार, पर्यावरण, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य, आदि अन्यानेक विषयों/ भावों) पर केन्द्रित मुक्‍तक/रुबाई एवं तद्‌विषयक सारगर्भित एवं तथ्यपूर्ण आलेख सादर आमंत्रित हैं।

    इस संग्रह का हिस्सा बनने के लिए न्यूनतम 10-12 और अधिकतम 20-22 मुक्‍तक भेजे जा सकते हैं।

    लेखकों-कवियों के साथ ही, सुधी-शोधी पाठकगण भी ज्ञात / अज्ञात / सुज्ञात लेखकों के चर्चित अथवा भूले-बिसरे मुक्‍तक/रुबाइयात भेजकर ‘सरस्वती सुमन’ के इस दस्तावेजी ‘विशेषांक’ में सहभागी बन सकते हैं। प्रेषक का नाम ‘प्रस्तोता’ के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। प्रेषक अपना पूरा नाम व पता (फोन नं. सहित) अवश्य लिखें।

    प्रेषित सामग्री के साथ फोटो एवं परिचय भी संलग्न करें। समस्त सामग्री केवल डाक या कुरियर द्वारा (ई-मेल से नहीं) निम्न पते पर अति शीघ्र भेजें-

    जितेन्द्र ‘जौहर’
    (अतिथि संपादक ‘सरस्वती सुमन’)
    IR-13/6, रेणुसागर,
    सोनभद्र (उ.प्र.) 231218.

    मोबा. नं. : +91 9450320472
    ईमेल का पता: jjauharpoet@gmail.com
    यहाँ भी मौजूद: jitendrajauhar.blogspot.com

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    1. देश की चर्चित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक त्रैमासिक पत्रिका ‘सरस्वती सुमन’ का आगामी एक अंक ‘मुक्‍तक विशेषांक’ होगा जिसके अतिथि संपादक होंगे सुपरिचित कवि जितेन्द्र ‘जौहर’। उक्‍त विशेषांक हेतु आपके विविधवर्णी (सामाजिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, शैक्षिक, देशभक्ति, पर्व-त्योहार, पर्यावरण, श्रृंगार, हास्य-व्यंग्य, आदि अन्यानेक विषयों/ भावों) पर केन्द्रित मुक्‍तक/रुबाई एवं तद्‌विषयक सारगर्भित एवं तथ्यपूर्ण आलेख सादर आमंत्रित हैं।

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  9. अर्चना जी प्रणाम!
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें .....

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  10. नये साल के उपलक्ष्य मे बेहतरीन रचना
    आपको नव वर्ष की हृार्दिक शुभकामनाये

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  11. धन्यवाद संजय भास्करजी ......

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