लो कट गए हैं रात के पर कैसे बसर हो
ख्वाबों के साथ दूर तलक कैसे सफ़र हो
आएगी तो देखेंगे की लाई है क्या भला
इस सुब्ह की नीयत की अभी से क्या खबर हो
ये सच है की भर जाएगा हर ज़ख्म एक दिन
पर मेरी दुआओं का अभी कुछ तो असर हो
रस्मन तो सूर्य रोज़ ही फेरा लगाये है
पर सच में किसी दिन तो कोई एक सहर हो
ख्वाबों के साथ दूर तलक कैसे सफ़र हो
आएगी तो देखेंगे की लाई है क्या भला
इस सुब्ह की नीयत की अभी से क्या खबर हो
ये सच है की भर जाएगा हर ज़ख्म एक दिन
पर मेरी दुआओं का अभी कुछ तो असर हो
रस्मन तो सूर्य रोज़ ही फेरा लगाये है
पर सच में किसी दिन तो कोई एक सहर हो