जब शाम गहन छा जाती है
अँधियारा कुछ गहराता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
सारा जग निद्रा मगन हुआ
तारों से जगमग गगन हुआ
जब चाँद, व्योम से झांक
चांदनी झिर झिर झिर बरसाता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
साँसों की सरगम मधुर बजे
इस पल, इस पर हर तान सजे
जब ह्रदय मयूरा झूम झूम के
गीत प्यार के गाता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
वो शीतल मंद बयार चले
गुन गुन भंवरों की कतार चले
जब पुष्प, रंग रस लिए
देख भंवरों को यूँ मुस्काता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
अँधियारा कुछ गहराता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
सारा जग निद्रा मगन हुआ
तारों से जगमग गगन हुआ
जब चाँद, व्योम से झांक
चांदनी झिर झिर झिर बरसाता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
साँसों की सरगम मधुर बजे
इस पल, इस पर हर तान सजे
जब ह्रदय मयूरा झूम झूम के
गीत प्यार के गाता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है
वो शीतल मंद बयार चले
गुन गुन भंवरों की कतार चले
जब पुष्प, रंग रस लिए
देख भंवरों को यूँ मुस्काता है
तब धीरे धीरे मन वीणा के तार
कोई सहलाता है