कट गयी है उम्र लेकिन ,ज़िन्दगानी रह गयी
अंत पर तो आ गए, लेकिन कहानी रह गयी
कब, किधर, कैसे, कहाँ ,छूटी वो मुझसे क्या पता
बीच बचपन और बुदापे के , जवानी रह गयी
बीतेते ही जा रहे हैं , मौसमों के काफिले
पर कहीं कुछ दूर पर, वो रुत सुहानी रह गयी
सोचते ही सोचते , सदियाँ गुज़रती जाएँ है
और इन्ही सदियों में उलझी, इक रवानी रह गयी
बेमुरब्बत था बड़ा वो , छोड़ कर मुझको गया
वक़्त तो लौटा नहीं, उसकी निशानी रह गयी
क्या कहूं ,कितना कहूं ,किससे कहूं ,कैसे कहूं
बांटने को ग़म मेरे, मैं ही दिवानी रह गयी
wah wah, bahut sundar, keep it up, GOD BLESS YOU didi
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दीदी,तुमने हमेशा ही मुझे प्रोत्साहित किया है तुम्हारी प्रशंसा मेरी प्रेरणा रही है धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंjeevan ke anubhavon ki etni sundar abhivyakti sarahniya hai. Aise hi likhti raho.......
जवाब देंहटाएंलेकिन ये ब्लॉग तो बचपन से जवानी में क़दम रख चुका है और अपने पूरे निखार की ओर अग्रसर है ...............अल्लाह करे ज़ोरे -कलम और जियादा .......
जवाब देंहटाएं..बहुत बहुत शुक्रिया लता........
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