उसी से दोस्ती भी है उसी से दुश्मनी भी है
वहीँ पर आब है लेकिन वहीँ पर तिश्नगी भी है
कभी वो जाएगा घर क्या भटकना जिसकी फितरत है
सफ़र में आबले तो है सफ़र से आशिकी भी है
उसे मंदिर में क्यूँ ढूंढें ,उसे मस्जिद में क्यूँ ढूंढें
जहाँ पर आस्था होगी वहीँ पर बंदगी भी है
ये माना रात काली है अँधेरा उसकी किस्मत है
अँधेरे के ही घूंघट में छिपी पर रौशनी भी है
उसे क्या नाम दूं आखिर ,सनम,हमदम या हरजाई
उसी पे जान देती हूँ उसी से ज़िन्दगी भी है
उसे क्या नाम दूं आखिर ,सनम,हमदम या हरजाई
जवाब देंहटाएंउसी पे जान देती हूँ उसी से ज़िन्दगी भी है
बहुत खूब ...सुन्दर गज़ल
उसे क्या नाम दूं आखिर ,सनम,हमदम या हरजाई
जवाब देंहटाएंउसी पे जान देती हूँ उसी से ज़िन्दगी भी है
बहुत खूबसूरत शेर है अर्चना जी. बधाई.
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत शेर है अर्चना जी. बधाई.
दिल को छू लेने वाली रचना, बधाई
संजय जी,संगीता जी और वंदना जी ,आप सभी का बहुत बहुत आभार ,मेरे ब्लाक पर आने, मुझे पदने के लिए और सराहने के लिए ....
जवाब देंहटाएंआ. अर्चना जी,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो नमस्कार स्वीकरें- अपने इस अनाहूत मेहमान का! चिंतन-मनन को कुरेदने वाले बीज-कणों की तलाश में निकला मैं आज न जाने किस संयोग-सुयोग से आपके ब्लॉग पर आ टपका...एक स्वाभाविक दृष्टि आपकी उक्त ग़ज़ल के मत्अले पर गयी, पढ़ा...फिर कुछ देर तक विचार-लोक में बना रहा।
यक़ीन कीजिए, जब विचार-व्योम से उतरा मन में एक संतृप्ति का-सा भाव था। अव्वल तो यही कि कितना ख़ुशनसीब इंसान होता है वह, जिसकी तिश्नगी (प्यास)के इर्द-गिर्द आब(पानी) भी होता है।
दोयम यह कि पूरी ग़ज़ल में लय की झोल-रहित प्रवहमानता को आपका ग़ज़लकार बख़ूबी निभा सका है।
ऐसे में, दिल ने कहा कि इस सुन्दर रचना को यूँ निःशुल्क पढ़कर खिसक लेना ठीक नहीं, कुछ तो भुगतान करता चलूँ...!
अस्तु मैं अकिंचन अपने Google A/C से कुछ शब्द-संपदा A/C Payee रूप में आपको सौंप रहा हूँ- इस चेक को निर्गत करने में मेरे कीमती 10-15 मिनटों का निवेश (Investment)है। समय मिला, तो फिर आऊँगा जी...बऽऽऽ बाय !
baht sundar ghazal ke liye badhai
जवाब देंहटाएंvery nice post badhai
जवाब देंहटाएंजीतेन्द्र जौहर जी,जयकृष्ण राय जी आप दोनों का बहुत बहुत आभार,शुक्रिया
जवाब देंहटाएंshamil har dhadkan mein uska naam bhi hai
जवाब देंहटाएंhale bayan dil ka nagmayejaan bhi hai.......
apki nayi nazm par bahut badhaiyan
shivani and cp nigam
शिवानी ,सी पी ,तुम दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंक्या कहूं शिवानी जिन शब्दों में तुमने मेरी ग़ज़ल की तारीफ़ की है वो ख़ुद काबिले -तारीफ़ हैं
आभार एक बार फिर .