बूढ़े माता पिता से ,
जब विदेश में बसे एकलौते बेटे ने ,
फ़ोन पर कहा
तुम्हारे पास आ रहा हूँ
कुछ समय के लिए
बच्चों को इंडिया घुमाने ,
बताओ तुम लोगों के लिए क्या ले आऊँ
कुछ भी बताओ
यहाँ सब कुछ मिलता है
एक से एक बढ़कर उम्दा और बढ़िया चीज़ें
बस नाम बताओ ,तुम्हारी बहु पूछ रही है
माँ ने भरभराई आवाज़ में कहा
हाँ ले आओ बेटा ,
अगर हो सके तो......... ,
थोडा सा हौसला जीने के लिए ,
इन बूढी आँखों के लिए कोई ख्वाब ,
हाँ ले आओ बेटा ,
अगर हो सके तो......... ,
थोडा सा हौसला जीने के लिए ,
इन बूढी आँखों के लिए कोई ख्वाब ,
कोई अर्थ इन साँसों के चलने का ,
ले आओ अपने पिता के सूने होठों केलिए
मुस्कराहट ....
ला कर बिखेर दो इस घर के कोने कोने में
हमारे प्रश्नों के उत्तर
इन बूढ़े हाथों को थामने की एक,
सिर्फ एक उंगली
हो सके तो ले आना
अपनों की कुछ आहटें
जो चीर दें हमारे चारों तरफ फैले सन्नाटे को....
बताओ बेटा तुम ये सब
ले आओगे ना .....................................
बहुत संवेदनशील ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज 29 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
बहुत यथार्थवादी...सुन्दर भावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंamazing words put together ..made something truly amazing..hats off.!!
जवाब देंहटाएंदिल को झकझोरने वाली एक मार्मिक और संवेदनशील अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संगीता जी ,आपने मेरी रचना को पसंद किया और " आपकी नज़र तेताला "के लिए चुना बहुत बहुत आभार.....
जवाब देंहटाएंडॉ शरद आभार.......
जवाब देंहटाएंअमित THANX
जवाब देंहटाएंवंदना जी,बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मिक रचना माँ - बाप के अकेलेपन कि टीस को उजागर करती खूबसूरत रचना |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावों को अपने में समेटे शानदार कविता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीनक्षी जी..
जवाब देंहटाएंसंजय जी शुक्रिया ....
जवाब देंहटाएंजब से ये रचना आपसे सुनी है मैं इसे भुला नहीं पा रहा हूँ...कितनी वेदना कितनी पीड़ा भर दी है आपने इन चंद पंक्तियों में...अद्भुत...प्रशंशा का हर शब्द आप की इस रचना के लिए छोटा है...बधाई.
जवाब देंहटाएंनीरज
thanx bhaiyya......
जवाब देंहटाएं