रविवार, 1 सितंबर 2013

ज़िन्दगी है या की जैसे एक ख़ुमारी  देखिये
जीतनी हो जंग जैसे ये तैयारी  देखिये

 साथ ना जायेगा ,रुपया,न ही धेला ,न ये तन
जोड़ते ही जा रहे हैं  उम्र सारी  देखिये

जो भी आये राह में उसको कुचलता जाए है
ये जुनूं  और उसपे उसकी शहसवारी देखिये

यूँ तो दुनिया में सभी है चैन ,राहत और सुकूं
पर सवाली है ये दिल ,किस्मत हमारी देखिये

अब कोई कहता न दिल की और न सुनता कोई
अब तो बस व्यापार है या दुनियादारी देखिये





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