जबसे मुझको मुस्कराना आ गया है
जश्न साँसों का मनाना आ गया है
देख कर सच्चाई के संग हौसले को
झूठ को अब मुंह छुपाना आ गया है
मुद्दतों, सहमी हुई सी औ घुटी सी
ज़िन्दगी को खिलखिलाना आ गया है
राहे मंजिल पे रुकें अब पाँव क्यूँकर
मुझको काँटों से निभाना आ गया है
अब मुहब्बत की कमी कोई ना होगी
दोस्त दुश्मन को बनाना आ गया है
जश्न साँसों का मनाना आ गया है
देख कर सच्चाई के संग हौसले को
झूठ को अब मुंह छुपाना आ गया है
मुद्दतों, सहमी हुई सी औ घुटी सी
ज़िन्दगी को खिलखिलाना आ गया है
राहे मंजिल पे रुकें अब पाँव क्यूँकर
मुझको काँटों से निभाना आ गया है
अब मुहब्बत की कमी कोई ना होगी
दोस्त दुश्मन को बनाना आ गया है
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