गुरुवार, 14 मई 2020

खुद लिक्खूं अपनी मैं कहानी अभी तो ये हालात नहीं
और कोई क्या जाने मुझको किसी के बस की बातनहीं

मेरी आँखें  मेरे सपने  मेरी रातें  मेरी  नींद
मेरा चैन मेरी बेचैनी किसी के ये जज़्बात नहीं

जिन राहों पे सफर है मेरा,मेरी अपनी राहें हैं
कंकड़ पत्थर धूल सभी कुछ फूल मुझे सदमात नहीं

गरल को भी मैं अमृत समझूँ गर मेरे हिस्से का हो
और के हिस्से का अमृत भी गरल लगे सौग़ात नहीं

सांस सांस लम्हा लम्हा तो मैंने ख़ुद को लिक्खा है
कहां समेटूँ किन पन्नों पर धोए जिन्हें बरसात नहीं

अर्चना जौहरी

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